"नीले ड्रम का रहस्य"
मुंबई के पास, मीरा रोड की एक पुरानी बिल्डिंग की तीसरी मंज़िल पर एक फ्लैट था — जहाँ कुछ हफ्तों से अजीब सी सड़ांध आ रही थी। पड़ोसी परेशान थे, लेकिन फ्लैट का दरवाज़ा हमेशा बंद मिलता।
एक दिन बदबू बर्दाश्त से बाहर हो गई। पुलिस आई। दरवाज़ा तोड़ा गया।
अंदर जो मिला, उसने सबके रोंगटे खड़े कर दिए।
कमरे के कोने में रखा था एक बड़ा, नीला ड्रम।
पुलिस ने जब ढक्कन खोला, तो अंदर से आया तेज़ केमिकल और सड़न की मिलीजुली गंध। ड्रम के अंदर थी एक औरत की लाश, टुकड़ों में बंटी हुई, केमिकल में डूबी।
उसका नाम था — रेहाना।
पति कौन था?
इस फ्लैट में रहता था सरफराज उर्फ सलीम, रेहाना का पति।
जांच में सामने आया कि सलीम को शक था कि रेहाना किसी और मर्द से बात करती थी। दोनों के बीच अक्सर झगड़े होते थे।
एक दिन बहस इतनी बढ़ी कि सलीम ने रेहाना का गला घोंट दिया।
हत्या के बाद वो घबरा गया — लेकिन डरने की बजाय उसने एक खतरनाक प्लान बनाया।
ड्रम, केमिकल और एक खौफनाक योजना
सलीम बाज़ार से एक बड़ा नीला ड्रम लाया। साथ में कुछ तेज़ाब और केमिकल भी खरीदे।
उसने रेहाना की बॉडी को टुकड़ों में काटा और ड्रम में भर दिया। सोचा कि बॉडी गल जाएगी, और कोई सुराग नहीं बचेगा।
लेकिन वो ये भूल गया — सड़ांध कभी नहीं छुपती।
सच सामने आया
CCTV फुटेज में सलीम को ड्रम और केमिकल खरीदते देखा गया।
पुलिस ने जब उसे पकड़ा, तो उसने सबकुछ कबूल कर लिया।
मन में सवाल उठता है...
एक रिश्ता, जो प्यार से शुरू हुआ था, शक और गुस्से में इतना जहरीला कैसे बन गया?
क्या कोई शक इतना बड़ा हो सकता है कि इंसान कातिल बन जाए?
सीख:
कभी-कभी रिश्ते में आई खामोशी, सबसे बड़ा अलार्म होती है।
प्यार में शक ज़हर बन जाए, तो इंसानियत भी दम तोड़ देती है।