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भूतिया हवेली - Bhootiya Haveli Horror Story in Hindi

 भूतिया हवेली - Bhootiya Haveli Horror Story in Hindi 

शहर से दूर एक छोटे से गाँव में एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग "भूतिया हवेली" के नाम से जानते थे। कहते हैं, कई साल पहले उस हवेली में ठाकुर अर्जुन सिंह अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहते थे। लेकिन एक रात सब कुछ बदल गया। पूरी हवेली में आग लग गई, और ठाकुर का परिवार उसमें जलकर मर गया। तब से वह हवेली वीरान पड़ी थी।

गाँव वालों का मानना था कि ठाकुर की आत्मा आज भी उस हवेली में भटकती है। हर पूर्णिमा की रात, हवेली से किसी औरत के रोने की आवाज़ आती थी, और खिड़कियों में किसी बच्चे की परछाई दिखाई देती थी।

एक दिन शहर से चार दोस्त – राघव, निशा, आदित्य और कविता – गाँव घूमने आए। उन्होंने गाँववालों से हवेली की कहानी सुनी और मज़ाक में कह दिया, “हम आज रात उस हवेली में रुकेंगे। देखते हैं क्या होता है।”

रात को चारों दोस्त टॉर्च लेकर हवेली में घुसे। दरवाज़ा खुद-ब-खुद चरमराकर खुल गया। अंदर की हवा में अजीब सी ठंडक थी, जैसे किसी की नज़र उन पर हो। दीवारों पर खून के धब्बे थे, और एक कमरा हमेशा के लिए बंद था।

आधी रात के करीब, अचानक दरवाज़े खुद-ब-खुद बंद हो गए। निशा को किसी ने पीछे से बालों से पकड़ा, लेकिन जब वह पलटी, वहाँ कोई नहीं था। राघव ने दीवार पर एक तस्वीर देखी वही बच्चा जो गाँववाले कहते थे जलकर मरा था। तभी उस तस्वीर से खून टपकने लगा।

कविता जोर-जोर से चिल्लाने लगी, “हमसे गलती हो गई! हमें यहाँ नहीं आना चाहिए था!”

तभी बंद कमरा खुद खुल गया, और उसके अंदर से एक जली हुई औरत बाहर निकली – उसकी आँखें सुर्ख लाल थीं और चेहरा झुलसा हुआ था।

“तुम लोग क्यों आए मेरी मौत का मज़ाक उड़ाने?” वह चीखी।

अगली सुबह गाँववाले हवेली के बाहर जमा हुए – सिर्फ़ कविता बेहोश हालत में बाहर मिली। बाकी तीनों दोस्त आज तक लापता हैं।

और कहते हैं... हवेली अब और ज़्यादा डरावनी हो गई है... क्योंकि अब वहाँ तीन और आत्माएँ भटक रही हैं।

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